04 फ़रवरी 2022

भारतीय संस्कृति : ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अवतरण व प्राकृतिक सौन्दर्य का आलोक पर्व है - बसंत पंचमी

ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अवतरण व प्राकृतिक सौन्दर्य का आलोक पर्व है -  बसंत पंचमी

बसंत पंचमी पर्व विशेष रूप से बुद्धि व विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस अवसर पर मां शारदे की विशेष आराधना की जाती है

इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 5 फरवरी को मनाया जाएगा। प्रति वर्ष यह पर्व माघ महीना के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऋतुराज बसंत का आगमन इसी दिन होता है। सो हिन्दू मतावलंबी इसे धूमधाम से मनाते हैं। बसंत पंचमी पर्व विशेष रूप से बुद्धि व विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस अवसर पर मां शारदे की विशेष आराधना की जाती है। इसके अलावा इस दिन कामदेव की भी आराधना का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसी के कारण इस दिन विधि-विधान से देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसमे हमारी परम्परा, भौगौलिक परिवर्तन , सामाजिक कार्य तथा आध्यात्मिक पक्ष सभी का सम्मिश्रण है, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है वास्तव में भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है इसलिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है।

बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है यह माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव है इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा उपासना कर उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है इसी लिए विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत विशेष होता है।

बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत ऊर्जामय ढंग से और विभिन्न प्रकार से पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है इस दिन पीले वस्त्र पहनने और खिचड़ी बनाने और बाटने की प्रथा भी प्रचलित है तो इस दिन बसंत ऋतु के आगमन होने से आकास में रंगीन पतंगे उड़ने की परम्परा भी बहुत दीर्घकाल से प्रचलन में है।

बसंत पंचमी के दिन का एक और विशेष महत्व भी है बसंत पंचमी को मुहूर्त शास्त्र के अनुसार एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त और अनसूज साया भी माना गया है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ मंगल कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार आरम्भ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किये जा सकते है।माता सरस्वती को ज्ञान, सँगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है।

भक्त लोग, ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये, आज के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। कुछ प्रदेशों में आज के दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। दूसरे शब्दों में वसन्त पञ्चमी का दिन विद्या आरम्भ करने के लिये काफी शुभ माना जाता है इसीलिये माता-पिता आज के दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं। सभी विद्यालयों में आज के दिन सुबह के समय माता सरस्वती की पूजा की जाती है। 

पूजा का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि

  • पंचांगीय गणना काल के मुताबिक 5 फरवरी को प्रात: 6 बजकर 42 मिनट से पंचमी शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 6 फरवरी, शनिवार की सुबह 6.44 बजे तक रहेगी। इस दिन कला प्रेमी व छात्र-छात्राएं मां शारदे की आराधना करते हैं। इसको लेकर अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा शुभ मुहूर्त में वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं।

 जीके श्रीवास्तव 

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24 जनवरी 2022

24 जनवरी : राष्ट्रीय बालिका दिवस: जानिए इस दिन का महत्व

 


राष्ट्रीय बालिका दिवस

राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार ने 2008 में की थी। इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो, और बालिकाओ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2009 से हुई। महिला बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार साल 24 जनवरी 2009 को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया।

24 जनवरी को क्यों होता है बालिका दिवस?

24 जनवरी के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कर्यभाल संभाला था। इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2019 में, इसे 'एम्पॉवरिंग गर्ल्स फॉर ए ब्राइटर टुमॉरो' की थीम के साथ मनाया गया।

हर साल 24 जनवरी को बालिका दिवस  इंदिरा गांधी से जुड़ी हुई है। साल 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। भारत के इतिहास और महिलाओं के सशक्तिकरण में 24 जनवरी का दिन महत्वपूर्ण है।

बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य?

देश में लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली सभी असमानताओं के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना।

बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।

बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना।

देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। समाज में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में देश की बेटियों के साथ ही सभी लोगों को जागरूक करना है। इस दिन हर साल राज्य सरकारें अपने अपने प्रदेश में जागरूक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।

राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम

हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग होती है। बालिका दिवस साल 2021 की थीम 'डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी' थी। साल 2020 में बालिका दिवस की थीम 'मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य' थी। साल 2022 बालिका दिवस की थीम की घोषणा फिलहाल नहीं हुई है।

भारत में हर साल 24 जनवरी का दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2009 में पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने की थी. इस दिन को बालिका बचाओ अभियान, बाल लिंग अनुपात, और लड़कियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने जैसे संगठित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं. पहले जहां बेटियों के पैदा होने पर भी उन्हें बाल विवाह जैसे कू प्रथा में झोंक दिया जाता था, वहीं आज बेटी होने पर लोग गर्व करते हैं. देश की आजादी के बाद से भारत सरकार ने बेटियों और बेटों में भेदभाव को खत्म करने के लिए कई योजनाएं चलाई. बेटियों को देश में पहले पायदान पर लाने के लिए कई कानून लागू किए गए. मुख्य रूप से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है. केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें भी अपने अपने राज्यों में बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाते हैं. भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी और 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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राष्ट्रीय बालिका दिवस : न्यायिक मजिस्ट्रेट बन बालिकाओं ने सुनी फरियाद

राष्ट्रीय बालिका दिवस : न्यायिक मजिस्ट्रेट बन बालिकाओं ने सुनी फरियाद

गोंडा। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बालिकाओं को अधिकारी व न्यायिक मजिस्ट्रेट बनाया गया। बालिकाओं ने अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर लोगों की समस्याएं सुनी तथा उसका त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए। केंद्रीय विद्यालय रेलवे कॉलोनी की 10 की छात्रा सुहानी पांडे को जिला प्रोबेशन अधिकारी बनाया गया। उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी बनाए जाने पर कार्यालय की फाइलों का जायजा लिया तथा उसके निस्तारण के निर्देश दिए। जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बालिकाओं को उत्साहित करते हुए कहा कि वह अपना लक्ष्य तय करें और उसकी प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि वह अपने भविष्य के निर्माता स्वयं बने। उन्होंने बालिकाओं को लक्ष्य की प्राप्ति करने, कठिन परिस्थिति से लड़ने व समाज में अपनी पहचान बनाने के टिप्स दिए। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी गौरव स्वर्णकार ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में विस्तृत से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पढ़ाई की कोई सीमा नहीं होती है, पढ़ाई से ही बड़े से बड़े लक्ष्य और बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। वहीं न्याय पीठ बाल कल्याण समिति में बालिकाओं को न्यायिक मजिस्ट्रेट बनाया गया। अध्यक्ष के रूप में एम्स इंटरनेशनल की 11वीं की छात्रा मुस्कान दूबे व सदस्य के रूप में मानसी दूबे, शिवानी पांडे व सृष्टि पांडे के समक्ष रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा लावारिस हाल में मिले बालक को प्रस्तुत किया गया, जिस पर कार्रवाई करते हुए मुस्कान दूबे ने स्टेनो मनोज उपाध्याय को आदेशित किया कि नियमानुसार कार्यवाही करते हुए बालक को उसके माता-पिता के सुपुर्दगी में दें। न्याय पीठ के अध्यक्ष व सदस्यों ने बालिकाओं से कहा कि वह मेहनत करके पढ़ाई करें और सरकारी सेवा में जोड़कर देश की सेवा करें। इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कृष्ण प्रताप सिंह ने बालिकाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा किया। उन्होंने बालिकाओं, बच्चों व आमजनों के हित में काम करने का बेहतर ढंग का गुर बताएं तथा उनको शुभकामनाएं दी। सुहानी द्वारा पूछा गया कि लावारिस मिले बालकों के परिजनों के न मिलने पर क्या कार्रवाई की जाती है, जिस पर सचिव द्वारा बताया गया कि ऐसे बच्चे को संस्था में संरक्षित किया जाता है और परिजनों की खोजबीन के बाद सुपुर्द कर दिया जाता है। 

    इस दौरान चेयरपर्सन प्रेम शंकर लाल श्रीवास्तव, सदस्य रामकृपाल शुक्ला, राजेश कुमार श्रीवास्तव, प्रियंका श्रीवास्तव, वरिष्ठ सहायक अखलाक अहमद, कनिष्ठ सहायक कुबेर राम, कार्यक्रम सहायक दीपक दूबे, चाइल्डलाइन प्रभारी आशीष मिश्रा, कनिष्ठ सहायक हेमंत कुमार, संरक्षण अधिकारी नेहा श्रीवास्तव, चंद्र मोहन वर्मा, महिला कल्याण अधिकारी ज्योत्सना सिंह, जिला समन्वयक राजकुमार आर्य, आंकड़ा विश्लेषक शिव गोविंद वर्मा, नीलम सरोज, सिद्धनाथ पाठक, राजू चौधरी आदि मौजूद रहे।
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01 जनवरी 2022

प्रधानमंत्री ने 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 20,000 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की

 


पीएम-किसान की 10वीं किस्त जारी: पीएम मोदी ने 10 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 20,000 करोड़ से अधिक रुपए ट्रांसफर किए

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की 10वीं किस्त जारी की| प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 20,000 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की। साथ ही PM ने लगभग 351 किसान उत्पादक संगठनों को 14 करोड़ से अधिक का इक्विटी अनुदान भी जारी किया, इससे 1.24 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। स्कीम के तहत पहली किस्त अप्रैल-जुलाई के बीच, दूसरी किस्त अगस्त-नवंबर के बीच और तीसरी किस्त दिसंबर-मार्च के बीच जारी की जाती है।PM मोदी ने कहा,'' आज जब हम नव वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तब बीते साल के अपने प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमें नए संकल्पों की तरफ बढ़ना है। इस साल हम अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेंगे। ये समय देश के संकल्पों की एक नई जीवंत यात्रा शुरू करने का है, नए हौसले से आगे बढ़ने का है| कितने ही लोग देश के लिए अपना जीवन खपा रहे हैं, देश को बना रहे हैं। ये काम पहले भी करते थे, लेकिन इन्हें पहचान देने का काम अभी हुआ है। हर भारतीय की शक्ति आज सामूहिक रूप में परिवर्तित होकर देश के विकास को नई गति और नई ऊर्जा दे रही है|

कार्यक्रम के दौरान PM मोदी ने किसानी उत्पादक संगठन (FPO) से जुड़े लोगों से भी बातचीत की। किसान सम्मान निधि के तहत सरकार हर साल किसानों के अकाउंट में 2-2 हजार रुपए की तीन किस्तों में 6000 रुपए ट्रांसफर करती है। स्कीम के तहत पहली किस्त अप्रैल-जुलाई के बीच, दूसरी किस्त अगस्त-नवंबर के बीच और तीसरी किस्त दिसंबर-मार्च के बीच जारी की जाती है।PM मोदी ने कहा,'' आज जब हम नव वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तब बीते साल के अपने प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमें नए संकल्पों की तरफ बढ़ना है। इस साल हम अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेंगे। ये समय देश के संकल्पों की एक नई जीवंत यात्रा शुरू करने का है, नए हौसले से आगे बढ़ने का है| कितने ही लोग देश के लिए अपना जीवन खपा रहे हैं, देश को बना रहे हैं। ये काम पहले भी करते थे, लेकिन इन्हें पहचान देने का काम अभी हुआ है। हर भारतीय की शक्ति आज सामूहिक रूप में परिवर्तित होकर देश के विकास को नई गति और नई ऊर्जा दे रही है|

उन्होंने कहा,''आज हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर 8% से भी ज्यादा है। भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। GST कलेक्शन में भी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त हुए हैं। निर्यात और विशेषकर कृषि के मामले में भी हमने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं| 2021 में भारत ने करीब-करीब 70 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन सिर्फ UPI से किया है। आज भारत में 50 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। इनमें से 10 हजार से ज्यादा स्टार्ट्स अप्स तो पिछले 6 महीने में बने हैं|

उन्होंने कहा,''2021 में भारत ने अपने सैनिक स्कूलों को बेटियों के लिए खोल दिया। 2021 में भारत ने नेशनल डिफेंस एकेडमी के द्वार भी महिलाओं के लिए खोल दिए हैं। 2021 में भारत ने बेटियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल यानि बेटों के बराबर करने का भी प्रयास शुरू किया है| क्लाइमेट चेंज के खिलाफ विश्व का नेतृत्व करते हुए भारत ने 2070 तक नेट जीरो कार्बन एमिशन का भी लक्ष्य दुनिया के सामने रखा है। आज भारत हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में lead ले रहा है|

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सद्गुण, सद्विचार व सद्भभाव जीवनकी सबसे बड़ी संपत्ति है :संत श्री गुरु भूषण साहिब जी

 


कर्नलगंज गोंडा 
 सद्गुण सद्विचार सद्भभाव जीवन की  सबसे बड़ी संपत्ति है :संत श्री गुरु भूषण साहिब जी

श्री बाल कृष्ण ग्राउंड में अरुण कुमार वैश्य  द्वारा आयोजित साप्ताहिक कबीर सत्संग के छठे दिन सूरत गुजरात छत्तीसगढ़ कौशांबी वा प्रयागराज से आए हुए संतो द्वारा सदगुरु कबीर के ग्रंथ बीजक का पाठ करने के उपरांत संतो के भजन प्रवचन का प्रारंभ हुआ। संत श्री महेश साहिब जी ने गुरु वंदना भजन पश्चात... राम भजन सो जीता जग में राम भजन सो जीता  भजन प्रस्तुत किया ।संत श्री रामेश्वर साहिब जी ने संत कबीर की साखी हंस वकु देखा एक रंग चढ़े एक ही ताल ...की व्याख्या करते हुए कहा कि मानव की दो वृतित्यां हैं एक हंसवृत्ति  दूसरी बगुलावृत्ति,  किंतु ऊपरी दिखावे में हम नहीं पहचान पाते हम उसके कर्म को देख पहचानते हैं ,उसकी वाणी से आभास करते हैं। कुसंगति से कुसंगति से कुसंस्कार उससे कुकर्म पनपते हैं। जिसमें कोई भूल नहीं भगवान उसे ही कहते हैं भूल मिटाना जो चाहे इंसान उसे ही कहते हैं। इंसान संसार में अपना प्रारब्ध लेकर आता है तथा अपने कर्मों को लेकर जाता है ।संक्षेप में सारगर्भित मानव कल्याण की बातें बतायी। संत श्री राम साहिब जी ने बीजक की साखी सतगुरु वचन सुनो हो संतो मत लीजै सिर भार  हौ हजूर ठाड़ कहत है अब तो संभर संभार..    की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए बताया कि व्यवस्थित जीवन के लिए बोधवान गुरु की अति आवश्यकता है जो सत्य पर स्वयं आरुढ़ है ।
 प्रमुख उपदेष्टा संत श्री गुरु भूषण साहिब जी ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है हमारे सद्गुण सद्विचार सद्भभाव जिसके संयम के लिए आत्म वार्ता या स्वसंवाद का बड़ा महत्व है ।हमारे आंतरिक भावों की भी तरंगे निकलती है जो हमारे चेहरे आंखें और कर्म बता देते हैं चाहे वह क्रोध हो दैष हो या करुणा और प्रेम हो ।दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा ।जीवन का अफसोस वाला समापन तो दुखदाई है संतुष्टि और शांतिपूर्ण सुखदाई है ।।क्रोध दैष आदमी जीवन की गुणवत्ता नहीं है बल्कि विनम्रता शालीनता सहनशीलता धैर्य ,क्षमा ,और प्रेम आदि में है। हमें सद्गुणों के बीज हृदय में बोना है दूसरों के जीवन में जो हम बोते हैं उसे हम अपने जीवन में काटते हैं ।सुंदर बीज बोने से व्यवहार और अध्यात्म दोनों सुधरते हैं ।क्षमा करने और क्षमा मांगने से बहुत से बिगड़े काम बन जाते हैं। सद्गुणों के लिए मन की शक्ति -ऊर्जा को दिशा देनी होगी। प्रातः उठने तथा रात सोते समय उसका आकलन आवश्यक है  अंत भला तो सब भला ।पंडाल में उपस्थित अपार स्रोता समुदाय ने एकत्र होकर प्रवचन उपदेश का रसपान किया ।अंत मे धर्म अनुरागी बंधुओं भक्ति मति माताओं बहनों को बच्चों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।

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16 दिसंबर 2021

काकोरी कांड का वह वीर जिसे अंगेज़ों ने तय समय से दो दिन पहले दे दी फाँसी!......... स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी बलिदान दिवस


 “…मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ”

ये अंतिम शब्द थे फांसी के फंदे पर चढने वाले स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के। राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी भारत के अमर शहीद क्रांतिकारियों में से एक हैं जिन्होंने जीते-जी देश की सेवा की और उसी देश के लिए एक दिन कुर्बान भी हो गये।भारत माँ के ये वीर तो सदा के लिए चले गये, लेकिन अपने पीछे क्रांति की वह चिंगारी फूंक गये, जिसने देश में आज़ादी की ज्वाला प्रज्वलित की।

प्रसिद्द ‘काकोरी कांड’ के लिए फांसी दिए जाने वाले क्रांतिकारियों में से बिस्मिल मुख्य थे जिन्होंने काकोरी कांड की योजना बनाई थी। पर बिस्मिल के साथ ऐसे बहुत से और भी देशभक्त थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किये बना, खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया था।

 स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

इनका जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। इनके पिता का नाम क्षिति मोहन शर्मा और माँ का नाम बसंत कुमारी था। उनके जन्म के समय उनके पिता बंगाल में चल रही अनुशीलन दल की गुप्त गतिविधियों में योगदान देने के आरोप में कारावास में कैद थे।


साल 1909 में राजेन्द्र को बंगाल से वाराणसी भेजा गया ताकि उनके मामा के यहाँ उनकी पढ़ाई हो सके। यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। लेकिन देशभक्ति और निडरता तो राजेन्द्र को पिता से विरासत में मिली थी। जब राजेन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. कर रहे रहे थे तब उनकी मुलाकात बंगाल के क्रांतिकारी ‘युगांतर’ दल के नेता शचीन्द्रनाथ सान्याल से हुई।

शचीन्द्रनाथ ने उनके भीतर के देशभक्त क्रांतिकारी को पहचान कर उन्हें अपने साथ रखा और बनारस से प्रकशित होने वाली पत्रिका ‘बंग वाणी’ के सम्पादन का कार्य भार राजेन्द्र को सौंपा। अब धीरे-धीरे राजेन्द्र की मुलाकात बाकी क्रांतिकारियों से होने लगी। वे सभी साथ में मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जंग छेड़ने की योजना बनाने लगे।राजेन्द्र भी अब क्रांतिकारी संगठन ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन’ से जुड़ चुके थे और सक्रीय सदस्य बन गए। बाकी सबके साथ मिलकर वे क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने लगे।

राजेन्द्र का स्वाभाव भले ही क्रांतिकारी था पर उनकी रूचि साहित्य में भी थी। कहीं न कहीं वे भी जानते थे कि शिक्षा ही देश का उद्धार कर सकती है। उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी माँ बसंता कुमारी के नाम से एक पारिवारिक पुस्तकालय भी शुरू किया। राजेन्द्र नियमित रूप से लेख लिखते थे और साथ ही, इनका लगातार प्रयास रहता था कि क्रांतिकारी दल का प्रत्येक सदस्य अपने विचारों को लेख के रूप में दर्ज़ करे।

काकोरी कांड

क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आज़ादी के आन्दोलन को गति देने के लिए धन और साधनों की ज़रूरत को देखते हुए शाहजहांपुर में रामप्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेज़ी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी। योजना के अनूसार दल के प्रमुख सदस्य रहे राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी ‘आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन’ को चेन खींच कर रोका।क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक़ उल्ला ख़ां, चन्द्रशेखर आज़ाद व छह अन्य सहयोगियों की मदद से ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया गया। काकोरी कांड के बाद राजेन्द्र नाथ को बिस्मिल ने बम बनाने के प्रशिक्षण के लिए कलकत्ता भेज दिया।

कलकत्ता के पास ही दक्षिणेश्वर में वे बम बनाने का अभ्यास कर रहे थे। एक दिन किसी साथी की जरा-सी असावधानी से एक बम अचानक ब्लास्ट हो गया। इसकी तेज़ धमाकेदार आवाज़ को पुलिस ने सुन लिया और तुरंत ही मौके पर पहुँच कर वहा मौजूद 9 लोगों के साथ राजेन्द्रनाथ को गिरफ्तार कर लिया।

शुरू में उन्हें 10 साल की जेल की सजा सुनाई गयी लेकिन बाद में एक अपील के चलते सजा को 5 वर्ष कर दिया गया। दूसरी तरफ, काकोरी कांड को अंजाम देने वाले क्रांतिकारियों की धर-पकड़ भी जोरों पर थी। ऐसे में एक-एक कर ब्रिटिश पुलिस ने सभी प्रमुख क्रांतिकारियों को पकड़ लिया और साथ ही, राजेन्द्रनाथ का नाम भी उजागर हो गया।राजेन्द्रनाथ को बंगाल से बनारस लाया गया और उन पर काकोरी कांड के लिए ही मुकदमा शुरू हो गया। अंग्रेज़ी हुकूमत ने उनकी पार्टी ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन’ के कुल 40 क्रान्तिकारियों पर साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया। इसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला ख़ां तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सज़ा सुनायी गयी।

बताया जाता है कि फांसी की सजा मिलने के बाद भी राजेन्द्रनाथ हमेशा की तरह अपना सारा समय व्यतीत करते थे। उनकी दिनचर्या में कोई भी बदलाव नहीं आया था। इसे देख एक दिन जेलर ने उनसे सवाल किया कि

“पूजा-पाठ तो ठीक हैं लेकिन ये कसरत क्यों करते हो अब तो फांसी लगने वाली हैं तो ये क्यों कर रहे हो?”

तब जेलर को जवाब देते हुए राजेन्द्रनाथ ने कहा,“अपने स्वास्थ के लिए कसरत करना मेरा रोज़ का नियम हैं और मैं मौत के डर से अपना नियम क्यों छोड़ दूँ? यह कसरत अब मैं इसलिए करता हूँ क्योंकि मुझे दूसरे जन्म में विश्वास है और मुझे दुसरे जन्म में बलिष्ठ शरीर मिले इसलिए करता हूँ, ताकि ब्रिटिश साम्राज्य को मिट्टी में मिला सकूँ।।”


इन क्रांतिकारियों की फाँसी को लेकर जनता में बढ़ते रोष और भारत के तमाम राजनैतिक नेताओं के दबाव और कई अपीलों के कारण अंग्रेजी सरकार घबराने लगी। इसलिए उन्होंने राजेन्द्रनाथ को नियत समय के दो दिन पहले ही, 17 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी गयी थी।


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सीएचसी पहुँची जाँच टीम,स्टाफ नर्स के घर डिलीवरी की थी शिकायत,मचा हड़कंप


सीएचसी पहुँची जाँच टीम,स्टाफ नर्स के घर डिलीवरी की थी शिकायत,मचा हड़कंप
 चर्चित स्टाफ नर्स पर लगे गम्भीर आरोप , मुख्य चिकित्सा अधीक्षक  जाँच टीम के साथ 
गोण्डा -    स्थानीय तहसील मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अपने कारनामों को लेकर आज एक बार फिर सुर्खियों में दिखा। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उस समय खलबली मच गयी जब वहाँ कार्यरत व चर्चित स्टाफ नर्स पर लगे गम्भीर आरोप की जाँच करने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपनी जाँच टीम के साथ अचानक पहुँच गये। सबसे पहले जाँच टीम ने आरोपी स्टाफ नर्स सरिता के कमरे पर पहुँचकर मौके की हकीकत देखी। इस दौरान सीएचसी पर तैनात कर्मियों में हड़कंप देखने को मिला इस बीच लोग एक दूसरे से काना फुसकी करते रहे। जाँच टीम ने सीएचसी में अन्य कई विन्दुओं पर बारीकी से छानबीन की। मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ घनश्याम सिंह का कहना सीएचसी में तैनात एक नर्स पर घर पर डिलीवरी कराने की शिकायत की जाँच चल रही है। फिलहाल कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह का कहना सीएससी में तैनात एक नर्स पर घर पर डिलीवरी कराने की शिकायत की जांच चल रही है फिलहाल कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा।

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