01 जनवरी 2022

सद्गुण, सद्विचार व सद्भभाव जीवनकी सबसे बड़ी संपत्ति है :संत श्री गुरु भूषण साहिब जी

 


कर्नलगंज गोंडा 
 सद्गुण सद्विचार सद्भभाव जीवन की  सबसे बड़ी संपत्ति है :संत श्री गुरु भूषण साहिब जी

श्री बाल कृष्ण ग्राउंड में अरुण कुमार वैश्य  द्वारा आयोजित साप्ताहिक कबीर सत्संग के छठे दिन सूरत गुजरात छत्तीसगढ़ कौशांबी वा प्रयागराज से आए हुए संतो द्वारा सदगुरु कबीर के ग्रंथ बीजक का पाठ करने के उपरांत संतो के भजन प्रवचन का प्रारंभ हुआ। संत श्री महेश साहिब जी ने गुरु वंदना भजन पश्चात... राम भजन सो जीता जग में राम भजन सो जीता  भजन प्रस्तुत किया ।संत श्री रामेश्वर साहिब जी ने संत कबीर की साखी हंस वकु देखा एक रंग चढ़े एक ही ताल ...की व्याख्या करते हुए कहा कि मानव की दो वृतित्यां हैं एक हंसवृत्ति  दूसरी बगुलावृत्ति,  किंतु ऊपरी दिखावे में हम नहीं पहचान पाते हम उसके कर्म को देख पहचानते हैं ,उसकी वाणी से आभास करते हैं। कुसंगति से कुसंगति से कुसंस्कार उससे कुकर्म पनपते हैं। जिसमें कोई भूल नहीं भगवान उसे ही कहते हैं भूल मिटाना जो चाहे इंसान उसे ही कहते हैं। इंसान संसार में अपना प्रारब्ध लेकर आता है तथा अपने कर्मों को लेकर जाता है ।संक्षेप में सारगर्भित मानव कल्याण की बातें बतायी। संत श्री राम साहिब जी ने बीजक की साखी सतगुरु वचन सुनो हो संतो मत लीजै सिर भार  हौ हजूर ठाड़ कहत है अब तो संभर संभार..    की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए बताया कि व्यवस्थित जीवन के लिए बोधवान गुरु की अति आवश्यकता है जो सत्य पर स्वयं आरुढ़ है ।
 प्रमुख उपदेष्टा संत श्री गुरु भूषण साहिब जी ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है हमारे सद्गुण सद्विचार सद्भभाव जिसके संयम के लिए आत्म वार्ता या स्वसंवाद का बड़ा महत्व है ।हमारे आंतरिक भावों की भी तरंगे निकलती है जो हमारे चेहरे आंखें और कर्म बता देते हैं चाहे वह क्रोध हो दैष हो या करुणा और प्रेम हो ।दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा ।जीवन का अफसोस वाला समापन तो दुखदाई है संतुष्टि और शांतिपूर्ण सुखदाई है ।।क्रोध दैष आदमी जीवन की गुणवत्ता नहीं है बल्कि विनम्रता शालीनता सहनशीलता धैर्य ,क्षमा ,और प्रेम आदि में है। हमें सद्गुणों के बीज हृदय में बोना है दूसरों के जीवन में जो हम बोते हैं उसे हम अपने जीवन में काटते हैं ।सुंदर बीज बोने से व्यवहार और अध्यात्म दोनों सुधरते हैं ।क्षमा करने और क्षमा मांगने से बहुत से बिगड़े काम बन जाते हैं। सद्गुणों के लिए मन की शक्ति -ऊर्जा को दिशा देनी होगी। प्रातः उठने तथा रात सोते समय उसका आकलन आवश्यक है  अंत भला तो सब भला ।पंडाल में उपस्थित अपार स्रोता समुदाय ने एकत्र होकर प्रवचन उपदेश का रसपान किया ।अंत मे धर्म अनुरागी बंधुओं भक्ति मति माताओं बहनों को बच्चों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।

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