26 सितंबर 2020

सीएम योगी ने पीएसी के 900 जवानों को दीबड़ी राहत, तत्काल प्रमोशन के लिए दिया आदेश

 


लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के एडीजी (स्थापना) पीयूष आनंद के एक आदेश से हड़कंप मच गया. करीब 900 पुलिसकर्मियों को जिला पुलिस से वापस पीएसी में भेज दिया गयापीएसी जवानों को प्रमोशन न देने के गैर जिम्मेदार निर्णय को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया है। साथ इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए सीएम ने शनिवार यानी आज 900 जवानों को शीघ्र प्रमोशन देने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं, सीएम ने शासन को जानकारी दिए बिना निर्णय करने वाले एडीजी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। सीएम ने कहा कि पुलिस के जवानों का मनोबल गिराने वाला कोई निर्णय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के एडीजी (स्थापना) पीयूष आनंद के एक आदेश से हड़कंप मच गया. करीब 900 पुलिसकर्मियों को जिला पुलिस से वापस पीएसी में भेज दिया गया. इससे आर्म्ड पुलिस से सिविल पुलिस में गए सिपाहियों का डिमोशन हो गया. इसमें हेड कांस्टेबल, 6 सब इंस्पेक्टर को कॉन्स्टेबल बनाया दिया गया. बीते 20 सालों में ये सभी पीएसी से सिविल पुलिस में गए थे. पीएसी में कॉन्स्टेबल के पद से ये सभी सिविल पुलिस में गए थे.सिविल पुलिस में प्रमोशन पाकर ये हेडकॉन्स्टेबल, सब इंस्पेक्टर बन गए थे. हालांकि मामले में एडीजी स्थापना ने दावा किया था कि किसी भी कर्मचारी का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. अपने बैच के मुताबिक सभी पुलिसकर्मियों को सीनियॉरिटी मिलेगी.लेकिन इस निर्णय से शासन तक बवाल मच गया. शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए डीजीपी को निर्देश दिए कि इन सभी 900 जवानों को तुरंत प्रमोशन किया जाए.


हाईकोर्ट में भी दाखिल हो चुकी है याचिका इस निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी चुनौती दी जा चुकी है. याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं. याचिकाकर्ता हेड कांस्टेबल पारसनाथ पांडेय व अन्य का कहना है कि 20 वर्ष की सेवा के बाद सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजना शासनादेश के विरुद्ध है. बिना सुनवाई का मौका दिए पदावनति देकर तबादला करना नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं. मामले में अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी.

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