थानाक्षेत्र परसपुर में हो रहे बाल विवाह को प्रशासन सतर्कता पर रोका गया तथा बालिका को अपने संरक्षण में लेकर न्यायालय के आदेश पर वन स्टॉप सेन्टर में संरक्षित कर दिया है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि शनिवार देर शाम चाइल्ड हेल्पलाइन लाइन 1098 सूचना प्राप्त हुई कि थाना परसपुर के किशुनदासपुर में नाबालिक बालिका का विवाह होने जा रहा है, जिस पर कार्यवाही करते हुए संरक्षण अधिकारी नेहा श्रीवास्तव, न्यायालय बाल कल्याण समिति के मनोज उपाध्याय व चाइल्ड लाइन के प्रभारी आशीष मिश्रा को मौके पर भेजा गया। टीम ने पुलिस के साथ पहुंचकर बालिका की काउंसलिंग की। काउंसलिंग के दौरान बालिका ने अपनी आयु 15 वर्ष बतायी, जब उसके परिजनों से उसके उम्र के लिए प्रमाण पत्र मांगा गया तो परिजनों ने बताया कि वह कक्षा 5 तक पढ़ी है तथा उसका शैक्षिक अभिलेख स्कूल में जमा है। प्रकरण में बालिका के कथन के अनुसार व परिजनों द्वारा अभिलेख या कोई दस्तावेज न प्रस्तुत किये जाने की दशा में विवाह को रोकवा दिया गया। जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री सिंह ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश कुमार यादव को दी गई, जिस पर न्यायपीठ के अध्यक्ष के आदेशानुसार बालिका को संरक्षण में लेते हुए न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बालिका को न्यायपीठ के सदस्य सैय्यद कासिम हुसैन काजिमी ने उसे वन स्टॉप सेंटर की स्वाती पांडेय को सौंपते हुए संरक्षित करा दिया, तथा आदेश पारित किया गया 28 जून को बालिका से संबंधित अभिलेखों को लेकर परिजन तथा स्कूल के प्रधानाचार्य न्यायपीठ के समक्ष प्रस्तुत हों। श्री सिंह ने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका की शादी करना कानूनी अपराध है, जिसके लिए सजा व जुर्माना का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकने की हम सबकी जिम्मेदारी है।
इस दौरान टीम के साथ चाइल्ड लाइन शहजाद अली, थाना परसपुर बाल कल्याण अधिकारी उपनिरीक्षक रमेश कुमार वर्मा, महिला सिपाही खुशबु उपस्थित रहे।
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