प्राकृतिक की सुरम्य वादियों में बसी पूर्ण वत्सला भूमि अनादिकाल से देव,ऋषियों और तपस्वियों के लिए निवास स्थल रहा है।
प्राचीन काल से ही कथाऐ ,लोक नृत्य ,लोक कलाऐ ,अथवा लोक संगीत ,मनोरंजन के साधन रहे है।

यहाँ का जन जीवन विविध अवसरों पर भिन्न भिन्न प्रकार के लोक नृत्य का आनंद उठाते हैं। जिनमें से एक सर्वप्रिय लोकनृत्य झुमैलो है यह नृत्य टिहरी का सर्वप्रिय नृत्य है। यह लोकनृत्य एक समूह मे किया जाता है.
इसमें कुछ महिलाएं मंगलगीत गाती हैं और एक बड़े समूह में स्त्री और पुरूष एक घेरे में एक दुसरे के कंधे मे हाथ रख कर नृत्य करते है.
यहा के लोग शुभ अवसर पर त्योहार एवं पर्व पर इस नृत्य का आनंद उठाते हैं।
यह नृत्य धीमी गति किया जाता है, जिससे दर्शक भाव विभोर हो जाते हैं.
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