लापरवाही : 1700 मजरों को नहीं मिली बिजली,वर्ष 2014 से ही हर घर बिजली देने की योजना
गोंडा। प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना के तहत गांवों के सभी मजरों को रोशन करने की मुहिम विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया। सौभाग्य योजना के दूसरे चरण में भी जिले के 1700 मजरों तक बिजली की लाइन नहीं पहुंच सकी। ऐसे में सरकार के हर घर बिजली पहुंचाने का दावा धरातल पर नहीं उतर पा रहा है। वर्ष 2014 से ही हर घर बिजली देने की योजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। वर्ष 2014 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जिले के बिना बिजली वाले 5706 मजरों को चिन्हित किया गया था। चार साल बीतने के बाद भी इस योजना में शामिल 2500 मजरे बिजली से वंचित रह गए। इसी बीच वर्ष 2017 में सौभाग्य योजना आई जिसमें 3154 मजरों को शत-प्रतिशत बिजली से जोड़ने का अभियान चला। लेकिन तीन वर्ष बाद भी 1700 मजरों को बिजली का सौभाग्य नहीं मिल सका।विद्युतीकरण के वंचित मजरों में निवास करने वाले लोगों को बिजली न मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिससे इनके द्वारा बिजली कार्यालयों के चक्कर लगाए जा रहे हैं। कार्यालयों में बताया जाता है कि ऊर्जीकरण के तीसरे चरण में इन मजरों तक बिजली पहुंचने की संभावना है। जिसके कारण अपने घर तक बिजली की रोशनी का इंतजार कर रहे ग्रामीणों की नजरें ऊर्जीकरण के तीसरे चरण पर टिकी हैं।बिजली अधिकारियों की माने तो इन मजरों तक बिजली पहुंचाने में अधिक लागत लगने के कारण तीसरे चरण के विद्युतीकरण की स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। ये मजरे गांवों से दूरी पर हैं। जिसके लिए लंबी लाइन बिछानी पड़ेगी और उसकी लागत अधिक आएगी। इसके अलावा इन मजरों में घरों की संख्या भी कम है जिसके चलते ऊर्जीकरण के तीसरे चरण की स्वीकृति नहीं मिल पा रही है।
तीसरे चरण में ऊर्जीकरण के लिए भेजा गया प्रस्ताव
बिजली से वंचित 1700 मजरों के ऊर्जीकरण के लिए पावर कॉर्पोरेशन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही इन सभी मजरों तक बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। -रमेश चंद्र शर्मा मुख्य, अभियंता पावर कॉर्पोरेशन
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