कर्नलगंज गोंडा बाघ सुरक्षा माह में वन विभाग गोण्डा रेंज द्वारा प्राथमिक विद्यालय धौरहरा में बाघ संरक्षण पर सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड के नियमों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय वनाधिकारी गोण्डा रेंज मोहम्मद इलियास खान ने बताया कि बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने बाघ संरक्षित क्षेत्र, चिड़िया घर, वन्य जीव आरक्षण क्षेत्र आदि की व्यवस्था की है। इन सभी के द्वारा भारत में बाघ संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम,1972 के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण की स्थापना की गयी है। वन दरोगा अशोक कुमार पाण्डेय ने बताया कि बाघों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2005 में पर्यावरण मन्त्रालय ने ‘टाइगर टास्क फोर्स’ का गठन किया है। यह टास्क फोर्स टाइगर सुरक्षा तथा स्थानीय लोगों के हितों में सामंजस्य स्थापित करेगी तथा बाघों के शिकार उनके आवास आदि को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने बताया कि बाघों के अंगों का अवैध व्यापार बाघों की जनसंख्या कम होने का प्रमुख कारण है। वर्ल्ड वाइल्ड फराह के अनुसार बाघ के अंगों का सर्वाधिक व्यापार होता है जिससे पारम्परिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आदर्श शिक्षक रवि प्रताप सिंह कहा कि वैश्विक रूप से बाघों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अनुसार, हमने एक शताब्दी में लगभग बाघ संरक्षित क्षेत्र में बाघों की 97% बाघ संख्या गंवा दी है। बाघ को संकटापन्न विलुप्त जीव की श्रेणी में रखा गया है। भारत में विश्व के सर्वाधिक बाघों (लगभग 70%) का निवास है। आजाद युवा विकास फाउंडेशन के अध्यक्ष हर्षित सिंह सूर्यवंशी ने बताया कि एक ऐसे संसार की कल्पना करें जिसमें हमारे परिवेश की शोभा बढ़ाने वाला कोई जानवर न हो। क्या सह संभव है कि हम अकेले ही इस पृथ्वी पर जीवन जी सकें। यह सम्भव नहीं है क्योंकि पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन किसी-न-किसी रूप में परस्पर जुड़ा हुआ है। सभी जीव अपने जीवन के लिए किसी न किसी प्रकार एक-दूसरे से जुडे हुए है। मनुष्य को पृथ्वी पर सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी समझा जाता है, इसलिए पर्यावरण और वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति मनुष्य का नैतिक उत्तरदायित्व सर्वाधिक है।वर्तमान में, बाघों की घटती संख्या लगातार प्राकृतिक अस्थायित्व के खतरे की ओर इशारा कर रही है। बाघ हमारे देश की राष्ट्रीय सम्पत्ति है तथा भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय जन्तु घोषित किया है। कार्यक्रम में अभिभावकों को कोरोना से बचने के उपाय भी बताए गए। ग्रामीणों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन कराया गया जिसमें पेंटिंग बनाने वाले ग्रामीणों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में हर्षित सिंह, प्रिंस सिंह, कीर्तिवर्धन मिश्रा, हर्ष वर्धन मिश्रा, भालेन्दु कुमार सिंह, राम कुमार सिंह, बबलू गुप्ता, उत्तम प्रसाद, सीमा सिंह, आनंद तिवारी, उमाशंकर मिश्र, सुतलेश, रमकला, कृपाराम सैनी, वासुदेव गुप्ता, इंद्रपाल, दृगपाल आदि मौजूद रहे।
05 दिसंबर 2020
बाघ सुरक्षा माह में वन विभाग गोण्डा रेंज द्वारा प्राथमिक विद्यालय धौरहरा में बाघ संरक्षण पर कार्यक्रम आयोजित
कर्नलगंज गोंडा बाघ सुरक्षा माह में वन विभाग गोण्डा रेंज द्वारा प्राथमिक विद्यालय धौरहरा में बाघ संरक्षण पर सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड के नियमों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय वनाधिकारी गोण्डा रेंज मोहम्मद इलियास खान ने बताया कि बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने बाघ संरक्षित क्षेत्र, चिड़िया घर, वन्य जीव आरक्षण क्षेत्र आदि की व्यवस्था की है। इन सभी के द्वारा भारत में बाघ संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम,1972 के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण की स्थापना की गयी है। वन दरोगा अशोक कुमार पाण्डेय ने बताया कि बाघों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2005 में पर्यावरण मन्त्रालय ने ‘टाइगर टास्क फोर्स’ का गठन किया है। यह टास्क फोर्स टाइगर सुरक्षा तथा स्थानीय लोगों के हितों में सामंजस्य स्थापित करेगी तथा बाघों के शिकार उनके आवास आदि को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने बताया कि बाघों के अंगों का अवैध व्यापार बाघों की जनसंख्या कम होने का प्रमुख कारण है। वर्ल्ड वाइल्ड फराह के अनुसार बाघ के अंगों का सर्वाधिक व्यापार होता है जिससे पारम्परिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आदर्श शिक्षक रवि प्रताप सिंह कहा कि वैश्विक रूप से बाघों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अनुसार, हमने एक शताब्दी में लगभग बाघ संरक्षित क्षेत्र में बाघों की 97% बाघ संख्या गंवा दी है। बाघ को संकटापन्न विलुप्त जीव की श्रेणी में रखा गया है। भारत में विश्व के सर्वाधिक बाघों (लगभग 70%) का निवास है। आजाद युवा विकास फाउंडेशन के अध्यक्ष हर्षित सिंह सूर्यवंशी ने बताया कि एक ऐसे संसार की कल्पना करें जिसमें हमारे परिवेश की शोभा बढ़ाने वाला कोई जानवर न हो। क्या सह संभव है कि हम अकेले ही इस पृथ्वी पर जीवन जी सकें। यह सम्भव नहीं है क्योंकि पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन किसी-न-किसी रूप में परस्पर जुड़ा हुआ है। सभी जीव अपने जीवन के लिए किसी न किसी प्रकार एक-दूसरे से जुडे हुए है। मनुष्य को पृथ्वी पर सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी समझा जाता है, इसलिए पर्यावरण और वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति मनुष्य का नैतिक उत्तरदायित्व सर्वाधिक है।वर्तमान में, बाघों की घटती संख्या लगातार प्राकृतिक अस्थायित्व के खतरे की ओर इशारा कर रही है। बाघ हमारे देश की राष्ट्रीय सम्पत्ति है तथा भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय जन्तु घोषित किया है। कार्यक्रम में अभिभावकों को कोरोना से बचने के उपाय भी बताए गए। ग्रामीणों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन कराया गया जिसमें पेंटिंग बनाने वाले ग्रामीणों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में हर्षित सिंह, प्रिंस सिंह, कीर्तिवर्धन मिश्रा, हर्ष वर्धन मिश्रा, भालेन्दु कुमार सिंह, राम कुमार सिंह, बबलू गुप्ता, उत्तम प्रसाद, सीमा सिंह, आनंद तिवारी, उमाशंकर मिश्र, सुतलेश, रमकला, कृपाराम सैनी, वासुदेव गुप्ता, इंद्रपाल, दृगपाल आदि मौजूद रहे।
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