गौशाला केंद्र के नाम पर प्रदेश सरकार लाखों रूपये खर्च कर रही है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कोई काम होता नहीं दिख रहा। सरकारी गौशाला में गौवंश की ऐसी दुर्दशा देख सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होने लगे हैं। बेहद शर्मनाक स्थिति यह है कि लगातार गौशाला केंद्र पर गाय, बछड़ों की मौत हो रही है।
तहसील क्षेत्र कर्नलगंज के कटरा बाजार स्थित ग्राम गोड़वा के सरकारी गौशाला केंद्र पर भारी अव्यस्था के चलते बेजुबान गायें व गोवंश भूख व प्यास के कारण तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। लापरवाही का आलम यह है कि मृत गौवंश को चील कौवे नोंच-नोंच कर खा रहे हैं। जबकि वहीं जिस गाय की मौत होती है उनको दफनाने की जगह बाउंड्री के बाहर फेंक दिया जाता है जिन्हें चील कौवे खाते रहते हैं। मालूम हो कि गौशाला में करीब डेढ़ सौ गायें हैं जबकि उसमें रोजाना एक बोरी पशु आहार आता है और जो पानी गाय को पिलाया जाता है वह भी काफी गंदगी युक्त होता है। गौशाला में गायों,गौवंशो की देखभाल, समुचित भरण पोषण ना होने के कारण गाय की मौत होती रहती है और गौशाला के अंदर जो सोलर पैनल में जो लाइट लगी है काफी दिन से खराब चल रही है। जिससे भारी अव्यवस्था के कारण गाय व गोवंश भूख प्यास से जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण तड़पती गायों व गौवंश के मृत शरीर को जानवरों द्वारा बुरी तरह नोंच कर क्षत-विक्षत कर दिए जाने से सरकारी गौशाला गायों,गोवंशो की कत्लगाह साबित हो रही है। उनके क्षत-विक्षत शरीर को चील कौओं द्वारा नोंचे जाने के पश्चात पड़े अवशेष उक्त हृदय विदारक मंजर, दुर्दशा के साथ ही गौशाला की हकीकत खुद ब खुद बयां करते हुए गवाही दे दे रहे हैं। जिससे वहां का पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है आसपास दुर्गंध होने की वजह से लोगों को वहां आने-जाने मे भी परेशानी हो रही है और दूसरी ओर उसका सीधा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। गायों के मरने की वजह वहां पर गायों को दिए जाने वाली दूषित पानी व कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं।
गौशाला केंद्रों में अव्यवस्थाओं व बेजुबान पशुओं की मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन? गौशाला से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया,जिससे यह कहना गलत नही होगा कि कहीं न कहीं इन बेजुबानों की मौतों के पीछे जिम्मेदारों का भी हाथ है। यहां पर मिली दवाई भी इस बात को साबित करती है वहां पर मिली दवा जो एक्सपायरी थी अगर यही दवा पशुओं की दी गयी होगी तो ऐसे स्थिति में बेजुबान पशुओं का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस संबंध मे जब वहां पर तैनात पशुचिकित्सा अधिकारी डा.धर्मेंद्र चौधरी से फोन कर बात कर जानकारी मांगी तो उन्होंने झुंझलाकर यह कहकर फोन काट दिया कि कल बात करेंगे। इससे डा. साहब का यह अंदाज कुछ समझ नहीं आया कि योगी राज मे तेज तर्रार जिलाधिकारी के हिदायत के बाद भी इस तरह की बात एक जिम्मेदार को शोभा नही देता। पर जो भी हो ऐसे मामलों मे जांच बहुत ही जरूरी है।
गौशाला केंद्रों में अव्यवस्थाओं व बेजुबान पशुओं की मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन? गौशाला से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया,जिससे यह कहना गलत नही होगा कि कहीं न कहीं इन बेजुबानों की मौतों के पीछे जिम्मेदारों का भी हाथ है। यहां पर मिली दवाई भी इस बात को साबित करती है वहां पर मिली दवा जो एक्सपायरी थी अगर यही दवा पशुओं की दी गयी होगी तो ऐसे स्थिति में बेजुबान पशुओं का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस संबंध मे जब वहां पर तैनात पशुचिकित्सा अधिकारी डा.धर्मेंद्र चौधरी से फोन कर बात कर जानकारी मांगी तो उन्होंने झुंझलाकर यह कहकर फोन काट दिया कि कल बात करेंगे। इससे डा. साहब का यह अंदाज कुछ समझ नहीं आया कि योगी राज मे तेज तर्रार जिलाधिकारी के हिदायत के बाद भी इस तरह की बात एक जिम्मेदार को शोभा नही देता। पर जो भी हो ऐसे मामलों मे जांच बहुत ही जरूरी है।
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