14 जुलाई 2021

अब तौ खाली स्कूलों में ही कोरोना रहिगा है का....सब कुछ तौ खुलिगा है,फिर स्कूल काहे नाहीं खुलत है

गोण्डा
अब तौ खाली स्कूलों में ही कोरोना रहिगा है का....सब कुछ तौ खुलिगा है।फिर स्कूल काहे नाहीं खुलत है। लडकवै घर मा बरबाद होत है.....

कोविड 19 महामारी के चलते अगर सबसे ज्यादा बरबादी हुई तो सिर्फ स्कूल कालेज हीहै जहां कोरोना महामारी के कारण सबसे पहले बंद कर दिया गया था और पहली लहर के बाद लगभग दस महीने के बाद ही खोला गया वहीं दूसरी लहर का संकेत मिलते ही उसे फिर बंद कर दिया गया और सभी सेक्टर खुलने के बाद भी अभी तक स्कूलों को खुलने का इंतजार है।बडे शहरों के साथ छोटे कस्बों गांवों में निजी स्कूलों की दशा इतनी दयनीय हो गयी है कि प्राथमिक स्कूल तो दूसरी लहर के चलते लगातार बन्दी की मार न झेल पाने के कारण बन्द हो चुके है।शिक्षक भी नौनिहालों का भविष्य सुधारने के चक्क्र में अपना भविष्य बर्बाद होता देख दूसरे रोजगार अपनाने को मजबूर हो रहे हैं।बच्चों की दशा सरकार की अनदेखी के चलते प्राइमरी की पढाई बेपटरी हो चुकी है सरकारी प्रयास में आनलाइन केवल शहरों में ही साधन सम्पन्न घरों के बच्चों तक ही सिमट कर रह गयी है।गांवों कस्बों में प्रायमरी तो केवल कुछ सीनियर क्लासों के बच्चे ही आनलाइन शिक्षा से जुड पाते है। उसके लिए हकीकत से दूर केवल कागजी आंकडे़बाजी ही रह गयी है।
तीसरी लहर की आशंका  स्कूल खुलने में सरकार की सबसे बडी परेशानी है।जिससे नौनिहालों का भविष्य को नजरअंदाजकर केवल प्रमोट करने का उपाय किया जा सका है।पिछले साल तो बच्चों को कोरोना काल में स्कूलों का रूटीन वर्क के अनुसार बच्चों का समय निकल गया लेकिन दूसरी लहर के कारण बच्चों का अप्रैल वाला नया सत्र का उत्साह भी नहीं मिल पाया और जुलाई में भी स्कूलों से दूर रहने वाले बच्चों की स्थिति अभी बिना पाठय सामग्री के कैसे होगी समझाी जा सकती है।दो वक्त का भेजन का जुगाड करने वाले घरों के बच्चों को कोरोनाकाल की सुविधा पढाई से दूर करती जा रही है।सरकारी स्कूलों में तो पढाई का महत्व केवल बच्चों की संख्या या प्रमोशन से होता है लेकिन निजी स्कूलों की दशा बच्चों की उपस्थिति के साथ उनके शैक्षिक गतिविधियों में उत्तरोतर प्रगति से ही होता है।महीनों से बन्द स्कूलों में वित्तीय संकट से शिक्षकों की दशा भी इतनी दयनीय हो चुकी है कि जीवनयापन खतरे मे आ चुका है।ग्रामीण अभिभावक पहले की तरह जुलाई में अपने बच्चों को दाखिला कराने की मंशा लिए पहुंचते हैं और स्कूल कब खुलेगा ही पूंछ कर मायूस होताहै।एक स्कूल में एक अभिभावक ने मास्टर से पूंछा कि सब कुछ खुलै बाद स्कूल काहे नाहीं खुलत है। घर मा बच्चे भी अब बहुत उऊब गये हैं। जल्दी से स्कूलवा खुलै पढाई करै।

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