घाघरा नदी का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ता हुआ खतरे के निशान से लगभग 42 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। जहां नदी की धारा बांध से 500 मीटर दूर बहती थी वह धारा कटान करते-करते अब नदी के बांध के किनारे पहुंच चुकी है। कई स्थानों पर नदी बांध से टकराने लगी है। जिससे बांध को खतरा पैदा हो चुका है।
ग्राम चंदापुर किटोली के पास जहां कटान की स्थिति बनी हुई थी। वहां जबरदस्त तरीके से की गई मेहनत रंग लाई है। वहां बांध को मजबूत कर लिया गया है पत्थरों की पिचिंग कर दी गई है और ब्रेकरोरा के जरिए कटान को थाम लिया गया है। मगर उस स्थल के आसपास कई स्थानों पर नदी बांध से सट गई है।लगातार हो रही मूसलाधार बारिश बांध के लिए खतरा बन सकती है। जहां बांध की मरम्मत का कार्य बरसात की वजह से प्रभावित हो रहा है जगह जगह बांध कमजोर हो गए हैं। वहां मरम्मत का कार्य चल रहा है। खाली पड़ी जमीन को पूरी तरीके से काट कर नदी में समाहित हो चुके हैं और नदी के धारा बांध की ओर रुख कर चुकी है। एल्गिन ब्रिज पर की गई माप के मुताबिक घाघरा नदी खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 106.496 पर है। रविवार को कुल डिसचार्ज 3 लाख 43 हजार 745 क्यूसेक था। बांध पर मौजूद सिंचाई विभाग के एई अमरेश सिंह बताते हैं कि बांध पर कैम्प कर सभी अधिकारी बांध की सुरक्षा में लगे हैं। नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। हालांकि अभी बांध को खतरा नही है। एसडीएम हीरालाल ने बताया कि एक तरफ बांध को सही करने की कवायद हो रही है तो दूसरी तरफ जमीन को काटकर नदी बांध से सटकर बहने लगी है। उन्होंने बताया कि यदि चंदापुर किटौली के पास बांध कटता है तो
चंदापुर किटौली, ग्राम पसका, ग्राम बहुवन मदार मांझा, ग्राम नन्दौर रेती की कुल आबादी करीब 25 हजार व 97 मजरे प्रभावित होंगे। सभी परिवारों का सर्वे कराया जा चुका है। बाढ़ से निपटने की भी पूरी तैयारी है।एल्गिन चरसडी बांध पर शनिवार की दोपहर उस समय अफरा-तफरी का माहौल हो गया जब चन्दापुर किटौली गांव के पास सियारामपुरवा के निकट बांध को बचाने के लिए चल रहे काम के दौरान डाले गए वायर कैरेट सहित मिर्जापुर बोल्डर से बनाया गया स्लोप अचानक घाघरा नदी में समा गया। मौके पर मौजूद एई अमरेश सिंह सहित पूरी टीम बांध को बचाने के लिए जुट गई। कई घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद पोकलैंड मशीन के माध्यम से दोबारा बोल्डर डालकर कटान को तो रोक लिया गया लेकिन खतरा बना हुआ है। शुक्रवार को छोड़ा गया सवा चार लाख क्यूसेक पानी शनिवार दोपहर बाद यहां आना शुरू हो चुका है। जिससे नदी का जलस्तर लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। जानकारों का कहना है अगर इसी तरह बैराजों से डिस्चार्ज बढ़ा रहा और नदी कटान करती रही तो आने वाले समय में परेशानी काफी हद तक बढ़ सकती है।
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