
कोरोना महामारी के दौर में लोगो का रुझान योग के साथ औषधियों और पेड़ पौधों की ओर भी काफी बढ़ा है। शुद्ध हवा, पानी और पर्यावरण प्रदूषण के मसले के प्रति लोग संवेदी हुए हैं। यही वजह कि ऐसे पौधे जो ज्यादा आक्सीजन देते हैं, उनकी बाजार में अचानक मांग बढ़ गई तो तुलसी, आवला, नीबू, सरीखे पौधों भी लोग अपने किचन गार्डेन और छतों पर लगे गमलों में लगाने लगे। डीएफओ अविनाश कुमार ने इसी रुझान को बनाए रखने के लिए विभाग ने आरोग्य वन बनाने का निर्णय लिया और इसे आरोग्य वन नाम दिया।पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, गोरखपुर वन प्रभाग प्रदेश का पहला आरोग्य वन गोरखपुर में स्थापित करेगा। एक जुलाई से 7 जुलाई के बीच मनाए जाने वाले वन महोत्सव के दौरान शहर के मध्य में 2800 वर्ग मीटर में स्थापित किया जाएगा। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद औषधीय पौधे रोपे जाने के लिए आवंटित जमीन को साफ सुथरा करने का काम शुरू हो गया है। आरोग्य वन में शहरवासी मार्निंग वॉक के साथ औषधिय पौधों के प्रति जागरूक होने के साथ उनके संरक्षण-संवर्धन के लिए भी प्रेरित होंगे। औषधीय पौधों की ताजी हवा में सांस लेकर खुद को स्वस्थ्य भी रखेंगे।
आरोग्य वन की देखभाल की जिम्मेदारी वन विभाग की होगी। हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनुपमा मिश्र से गोरखपुर वन प्रभाग की इस कोशिशों की सराहाना करते हुए इसे अनुकरणीय बताया है।
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